राष्ट्रपति पर महाभियोग चलाने की प्रक्रिया ( सविधान के अनुच्छेद 61):-
यहाँ हम राष्ट्रपति पर महाभियोग चलाने की प्रक्रिया के बारे में पढेंगे कुछ इसी तरह का महाभियोग 2018 में विपक्ष पार्टी कांग्रेस चीफ जस्टिस ऑफ़ इंडिया के खिलाफ लेकर आई थी. इसका ज़िक्र संविधान के अनुच्छेद 61, 124 (4), (5), 217 और 218 में मिलता है. भारतीय संविधान के अंतर्गत राष्ट्रपति मात्र महाभियोजित होता है, अन्य सभी पदाधिकारी पद से हटाये जाते हैं। महाभियोजन एक विधायिका सम्बन्धित कार्यवाही है जबकि पद से हटाना एक कार्यपालिका सम्बन्धित कार्यवाही है। महाभियोजन एक कड़ाई से पालित किया जाने वाला औपचारिक कृत्य है जो संविधान का उल्लघंन करने पर ही होता है। यह उल्लघंन एक राजानैतिक कृत्य है जिसका निर्धारण संसद करती है। संविधान का अतिक्रमण करने पर महाभियोग प्रस्ताव संसद के किसी भी सदन में लाया जा सकता है। जिस सदन में ऐसा प्रस्ताव लाया जा रहा है उसके कम से कम एक चौथाई सदस्यों द्वारा ऐसे प्रस्ताव पर हस्ताक्षर होने चहिये. इसके साथ साथ प्रस्ताव लाने से 14 दिन पहले इसकी सूचना राष्ट्रपति को देनी आवश्यक है।राष्ट्रपति पर महाभियोग चलाने की प्रक्रिया में सदन की कुल सदस्यों के कम से कम 2/3 सदस्यों द्वारा ऐसा प्रस्ताव पारित कर दूसरे सदन में प्रेषित किया जाएगा। दूसरे सदन द्वारा आरोप की जाँच की जाएगी । राष्ट्रपति जाँच के दौरान उपस्थित होकर अपना पक्ष रख सकता है। यदि यह आरोप सिद्ध हो जाता है तथा दूसरा सदन अपनी कुल सदस्य संख्या के 2/3 बहुमत से यह प्रस्ताव पारित कर दे तो ऐसा प्रस्ताव पारित होने की तारीख से राष्ट्रपति को उसके पद से हटाया जाएगा.
राष्ट्रपति पर महाभियोग चलाने की प्रक्रिया के संदर्भ में दो महत्वपूर्ण बाते हैं.
संसद के दोनों सदनों के मनोनीत सदस्य भी इस महाभियोग प्रस्ताव में भाग लेते है।
राज्य विधान सभाओं एवं संघीय क्षेत्र की विधान सभाओं के सदस्य महाभियोग प्रस्ताव में भाग नहीं लेते जबकि वे चुनाव में भाग लेते हैं।
राष्ट्रपति का कार्यकाल पूर्ण होने से पूर्व ही नए राष्ट्रपति का निर्वाचन पूर्ण किया जाना आवश्यक है। संविधान के अनुच्छेद 21 के अनुसार.
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