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Wednesday 27 June 2018

भारत की राजव्यवस्था में राष्ट्रपति की भूमिका

भारत की राजव्यवस्था में राष्ट्रपति (Bharat Ki RajVyavastha me President):-

राष्ट्रपति हमारे देश की संघीय कार्यपालिका का वैधानिक मुखिया होता हैं, जबकि कार्यपालिका का वास्तविक मुखिया प्रधानमंत्री होता है। हमारे देश में राष्ट्रपति की स्थिति बहुत कुछ मायनों में ब्रिटिश सम्राट के समान है।

राष्ट्रपति भारत का राज्य प्रमुख होता है वह भारत का प्रथम नागरिक है और राष्ट्र एकता, अखंडता व सशक्तता का की प्रतीक है। संविधान के अनु. 53 के अनुसार संघ सरकार की कार्यपालिका संबंधी समस्त शक्तियाँ भारतीय राष्ट्रपति में निहित हैं। संघीय सरकार के सभी कार्य राष्ट्रपति के नाम से किये जाते हैं। वह देश की रक्षा सेनाओं का सर्वोच्च सेनापति होता है।

राष्ट्रपति पद हेतु योग्यता() :-
                                         संविधान के अनु. 58 के अनुसार राष्ट्रपति की निम्न योग्यताएँ होनी आवश्यक हैं।
1. वह भारत का नागरिक हो।
2. 35 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुका हो।
3. लोकसभा का सदस्य बनने की योग्यता रखता हो।
4. वह संघ/राज्य सरकार या किसी स्थानीय स्वशासी संस्था या सार्वजनिक अधिकरण में लाभ के पद पर न हो।

राष्ट्रपति पद के लिए शर्त (अनु 59) :-
                                                      राष्ट्रपति संसद के किसी सदन का या किसी राज्य के विधानमंडल के किसी सदन का सदस्य नहीं होगा और यदि ऐसा कोई व्यक्ति राष्ट्रपति निर्वाचित हो जाता है तो उसके राष्ट्रपति के रूप में पद ग्रहण की तारीख से उस सदन से उसकी सदस्यता स्वत: समाप्त समझी जाएगी।

राष्ट्रपति के वेतन, भत्ते आदि उसकी पदावधि के दौरान कम नहीं किए जाएंगे।

राष्ट्रपति का कार्यकाल (अ. 56 व 57):-
                                                         राष्ट्रपति अपने पद ग्रहण की तारीख से पाँच वर्ष की अवधि तक पद धारण कर सकेगा तथा पुनर्नियुक्ति का पात्र होगा।
राष्ट्रपति अपनी पदावधि समाप्त हो जाने पर भी नए राष्ट्रपति के पद ग्रहण करने तक पद धारण करेगा। कार्यकाल समाप्ति से पूर्व राष्ट्रपति अपना त्यागपत्र उपराष्ट्रपति को संबोधित कर लिखित में दे सकेगा। त्यागपत्र की सूचना राष्ट्रपति द्वारा तुरन्त लोकसभा अध्यक्ष को दी जाएगी।

राष्ट्रपति को पद से हटाया जाना:-
                                                 राष्ट्रपति को संविधान का अतिक्रमण करने के आरोप पर अनुच्छेद 61 में विहित प्रक्रिया से संसद में चलाए गए महाभियोग द्वारा हटाया जा सकता है।

आकस्मिक रिक्तता:-
                                यदि राष्ट्रपति का पद उसकी मृत्यु, पदत्याग या पद से हटाए जाने अथवा अन्य कारण से रिक्त हो तो उसके पद के लिए निर्वाचन ऐसी रिक्ति के 6 माह के भीतर किया जाना आवश्यक है। ऐसे रिक् हुए पद पर निर्वाचित व्यक्ति अपने पद ग्रहण की तारीख से पाँच वर्ष की पूरी अवधि तक पद धारण कर सकेगा। ( अनु 62 ( 2 )) नए राष्ट्रपति के पद ग्रहण करने तक उपराष्ट्रपति कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करेगा।( अनु 65 ( ए ))
  1. जब राष्ट्रपति अनुपस्थिति, बीमारी या अन्य किसी कारण से अपना कार्य करने में असमर्थ हो तो उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति के पुन:
  2. पदभार संभालने तक कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करेगा। (अनु. 65 (2)) यदि उपराष्ट्रपति का पद भी रिक्त हो तो, सर्वोच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश तथा मुख्य न्यायाधीश का पद भी रिक्त होने पर सर्वोच्च न्यायालय को कार्यवाहक राष्ट्रपति भी उस दौरान राष्ट्रपति के सभी वेतनभत्ते व विशेषाधिकार प्राप्त करता है। प्रथम वरीयता में पर्याप्त वोट न मिलने पर न्यूनतम मत प्राप्त करने वाले उम्मीदवार के मतों की दूसरी वरीयता देखी जाती है और यह प्रक्रिया स्पष्ट बहुमत प्राप्त करने तक चलती है।

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