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Saturday 30 June 2018

जानिये भारत के राष्ट्रपति के पास कोनसी शक्तियाँ होती हे |

भारत के राष्ट्रपति की शक्तियाँ:-

राष्ट्रपति की शक्तियाँ राष्ट्रपति को शक्तियों का अध्ययन निम्न प्रकार किया जा सकता है

राष्ट्रपति की कार्यपालिका शक्ति:-
अनुच्छेद 53 के अनुसार संघ की कार्यपालिका राष्ट्रपति में निहित है।
अनुच्छेद 77 के अनुसार भारत सरकार के समस्त कार्य राष्ट्रपति के नाम किए से जाते हैं।
 ।
राष्ट्रपति देश के सभी उच्चाधिकारियों की नियुक्ति करता है। प्रधानमंत्री, प्रधानमंत्री को सलाह से अन्य मंत्री, उच्चतम व उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश, राज्यों के राज्यपाल, भारत के महान्यायवादी, नियंत्रक व महालेखा उपरीक्षक, मुख्य चुनाव आयुक्त अन्य चुनाव आयुक्त संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष तथा सदस्य, वित्त आयोग के अध्यक्ष व सदस्य व अन्य वैधानिक आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों आदि की नियुक्ति व विमुक्ति का अधिकार राष्ट्रपति को ही है।

राष्ट्रपति की सैनिक शक्तियाँ:-
राष्ट्रपति देश के प्रतिरक्षा बलों का सर्वोच्च सेनापति होता है। उसे मंत्रिपरिषद की सलाह से युद्ध घोषित करने व शान्ति स्थापित करने की शक्ति प्राप्त है।

राष्ट्रपति की कूटनीतिक शक्तियाँ :- 
अन्तरराष्ट्रीय संधियाँ व समझौते राष्ट्रपति के नाम पर किए जाते है। वह अंतरराष्ट्रीय मंचों व मामलों में भारत का प्रतिनिधित्व करता है। वह विदेशों में भारतीय उच्चायुक्त व राजदूतों को नियुक्ति करता है तथा विदेशों के प्रतिनिधियों के नियुक्ति प्रमाण पत्र स्वीकार करता है।

राष्ट्रपति की विधायी शक्तियाँ :-
  •  राष्ट्रपति संसद के सत्र को आहूत करता है और सत्रावसान करता है। वह लोकसभा का विघटन कर सकता है।
  • राष्ट्रपति लोकसभा के प्रत्येक साधारण निर्वाचन के बाद प्रथम सत्र के आरम्भ में और प्रत्येक वर्ष के प्रथम सत्र के आरम्भ में दोनों सदनों के संयुक्त सत्र को संबोधित करता है।
  • संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित विधेयक राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद ही अधिनियम बनते हैं। धन विधेयक को छोड़कर अन्य विधेयकों को राष्ट्रपति स्वीकृत कर सकता है, स्वीकृति सुरक्षित रख सकता है या अपने सुझावों के साथ पुनर्विचारार्थ लौटा सकता है। संसद द्वारा पुन: पारित विधेयक पर राष्ट्रपति अनुमति देने के लिए बाध्य है।
  • यदि किसी विधेयक पर (धन विधेयक के अलावा) दोनों सदनों में कोई असहमति हो तो उसे सुलझाने के लिए राष्ट्रपति दोनों सदनों की संयुक्त बैठक बुला सकता है। परंतु संयुक्त बैठक की अध्यक्षता लोक सभाध्यक्ष करता है।
  •  नए राज्यों के निर्माणवर्तमान राज्य के क्षेत्रोंसीमाओं या नामों के बदलने के लिए कोई विधेयक राष्ट्रपति की सिफारिश के बिना संसद में पेश नहीं किया जा सकता है।
  • राष्ट्रपति राज्यसभा में साहित्य, कलाविज्ञान व सामाजिक सेवा के क्षेत्र में विशेष ज्ञान या अनुभव रखने वाले 12 व्यक्तियों तथा लोकसभा में दो एंग्लो-इंडियन समुदाय (समुदाय का उचित प्रतिनिधित्व न होने पर) के व्यक्तियों को मनोनीत करता है।
  •  अध्यादेश जारी करने की शक्ति ( अनु 123): संसद के एक या दोनों सदनों के सत्र में न होने पर तथा आवश्यक होने पर
  • राष्ट्रपति अध्यादेश जारी कर विधि निर्माण कर सकता है। प्रत्येक ऐसा अध्यादेश संसद के दोनों सदनों के समक्ष रखा जाएगा और संसद के पुन: समवेत होने की तारीख से 6 सप्ताह की समाप्ति पर समाप्त समझा जाएगा। राष्ट्रपति अपने द्वारा जारी अध्यादेशों को किसी भी समय वापस ले सकता है। राष्ट्रपति उन्हीं विषयों पर अध्यादेश जारी कर सकता है जिन पर संसद को कानून बनाने की शक्ति प्राप्त है। किसी अध्यादेश द्वारा मूल अधिकारों का अतिक्रमण नहीं किया जा सकता। अध्यादेश कार्यपालिका को आकस्मिक परिस्थितियों से निपटने की शक्ति प्रदान करता है।

राज्य विधायिका द्वारा पारित किसी विधेयक को राज्यपाल जब राष्ट्रपति के विचार के लिए सुरक्षित रखता है तब राष्ट्रपति-

1. विधेयक को अपनी स्वीकृति देता है या
2. विधेयक पर अपनी स्वीकृति सुरक्षित रखता है या
3. राज्यपाल को इस विधेयक को राज्य विधायिका द्वारा पुनर्विचार हेतु लौटा सकता है। यदि राज्य विधायिका        विधेयक को पुन: राष्ट्रपति की सहमति के लिए भेजती है तो राष्ट्रपति अपनी स्वीकृति देने के लिये बाध्य नहीं है।
4. राष्ट्रपति नियंत्रक व महालेखा परीक्षक, संघ लोक सेवा आयोगवित्त आयोग आदि की रिपोर्ट संसद के समक्ष रखता है।

 राष्ट्रपति की वित्तीय शक्तियाँ :-
  • धन विधेयक राष्ट्रपति की पूर्वानुमति से ही संसद में प्रस्तुत किए जा सकते हैं।
  • वह वार्षिक वित्तीय विवरण (केन्द्रीय बजट) को संसद के समक्ष रखवाता है।
  • अनुदान की कोई भी माँग राष्ट्रपति को सिफारिश के बिना नहीं की जा सकती है। वह आकस्मिक निधि से किसी आकस्मिक व्यय हेतु संसद की अनुमति के पूर्व ही अग्रिम भुगतान की व्यवस्था कर सकता है।

वह राज्य व केन्द्र के मध्य राजस्व के बँटवारे के लिए प्रत्येक पाँच वर्ष में एक वित्त आयोग का गठन करता है।

राष्ट्रपति की न्यायिक शक्तियाँ:-
  •  वह उच्चतम न्यायालय व उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीशों व अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति करता है।
  • क्षमादान की शक्ति (अनु ७२ )- राष्ट्रपति किसी दोषी व्यक्ति के दंड को क्षमा कर सकता है, निलम्बित कर सकता है तथा कम कर सकता है। राष्ट्रपति मृत्युदंड को भी क्षमा कर सकता है। राष्ट्रपति को सेना न्यायालयों द्वारा दिए गए दंड के मामले में भी क्षमादान की शक्ति प्राप्त है ।

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